ऋषभ पंत की जांबाज़ी लेकिन गेंदबाज़ों की नाकामी
दूसरे दिन ऋषभ पंत ने जिस जज़्बे के साथ बल्लेबाज़ी की, वह न सिर्फ प्रेरणादायक था बल्कि टीम इंडिया के लिए एक संजीवनी जैसा था। लेकिन गेंदबाज़ी में जो प्रदर्शन दिखा, वह बेहद निराशाजनक था। जिस तरीके से इंग्लैंड की टीम को मौके दिए गए, उसने पूरे मुकाबले की दिशा को पलट कर रख दिया।पंत ने एक मिसाल कायम की, लेकिन गेंदबाज़ उसे सपोर्ट नहीं कर सके। जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज जैसे गेंदबाज़ रन लुटाते नजर आए। इंग्लैंड अब सिर्फ 133 रन पीछे है, और ये लीड जब चाहे खत्म हो सकती है।
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पूर्व दिग्गजों की मानें तो वर्कलोड मैनेजमेंट मैच के दौरान नहीं, सीरीज प्लानिंग के दौरान होना चाहिए।

बुमराह की फिटनेस पर सवाल
अब सवाल यह है कि क्या बुमराह 100% फिट हैं? लगातार 140 से नीचे की गति, सीम मूवमेंट की कमी और लय में गिरावट ने ये आशंका और बढ़ा दी है। क्या उन्हें ज्यादा जिम्मेदारी दी जा रही है या फिर वर्कलोड मैनेजमेंट विफल हो रहा है?पूर्व दिग्गजों की मानें तो वर्कलोड मैनेजमेंट मैच के दौरान नहीं, सीरीज प्लानिंग के दौरान होना चाहिए।
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शुभमन गिल की कप्तानी पर उठे सवाल
कैप्टेंसी के स्तर पर भी टीम इंडिया में अस्थिरता साफ दिखी। जैसे ही दबाव आता है, गिल की कप्तानी कमजोर नजर आती है। कई बार फील्डिंग सेटअप, बॉलिंग चेंज और प्लेइंग इलेवन के फैसलों में अनुभव की कमी दिखती है। हालांकि कप्तान उतना ही अच्छा होता है जितनी टीम उसकी रणनीति पर अमल करे।
क्या कुलदीप यादव को मिलना चाहिए मौका?
स्पिन विभाग में लगातार सवाल उठते रहे हैं। ऐसे में एक क्लासिकल चाइना मैन गेंदबाज़ – कुलदीप यादव – को मौका क्यों नहीं मिल रहा? उन्होंने हालिया समय में अपनी बॉलिंग में वेरीएशन और गति जोड़ी है, जो टेस्ट मैचों में उपयोगी हो सकता है।कोचिंग को लेकर भी असंतोष
टीम इंडिया के मौजूदा कोच पर भी कई आलोचनाएं हो रही हैं। लगातार टीम कॉम्बिनेशन में बदलाव, पुराने स्टैंड से पलटना और खिलाड़ियों को निरंतर मौके ना देना कुछ ऐसे फैसले हैं जिनपर सवाल उठ रहे हैं।इंग्लैंड की संभावित लीड और बैटल प्लान
इंग्लैंड की टीम 133 रन पीछे है और उसके टॉप बल्लेबाज़ – बेन स्टोक्स, जो रूट, ओली पोप और हैरी ब्रुक – यदि सेट हो गए, तो भारत को काफी भारी पड़ सकता है। लेकिन यदि इन चारों को जल्दी आउट कर दिया गया, तो मैच टीम इंडिया की तरफ झुक सकता है। तीसरे दिन की शुरुआत इसी लड़ाई से तय होगी।
1. 35वें ओवर के बाद एक नई गेंद का विकल्प हटे।
2. ट्राई सीरीज को दोबारा शुरू किया जाए।
वनडे फॉर्मेट में टेस्ट की तकनीक और T20 की तेजी दोनों होती है, जो इसे सबसे संतुलित प्रारूप बनाता है। अगर सही ढंग से प्रमोट किया जाए, तो यह दोबारा अपनी चमक पा सकता है।
वनडे क्रिकेट का भविष्य और सुधार के सुझाव
एक सवाल यह भी उठा कि क्या वनडे क्रिकेट खत्म होने की कगार पर है? इसका जवाब है — शायद नहीं, लेकिन बदलाव की जरूरत है:1. 35वें ओवर के बाद एक नई गेंद का विकल्प हटे।
2. ट्राई सीरीज को दोबारा शुरू किया जाए।
3. तीन की बजाय पांच मैचों की वनडे सीरीज हो।
वनडे फॉर्मेट में टेस्ट की तकनीक और T20 की तेजी दोनों होती है, जो इसे सबसे संतुलित प्रारूप बनाता है। अगर सही ढंग से प्रमोट किया जाए, तो यह दोबारा अपनी चमक पा सकता है।
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