इस बाढ़ में भागीरथी नदी की सहायक खीर गद ने किनारे की मिट्टी बहा दी, जिससे नदी अपने पुराने रास्ते पर लौट आई। इसरो की जून 2024 और 7 अगस्त 2025 की तस्वीरों के अनुसार, खीरगद और भागीरथी के संगम पर लगभग 20 हेक्टेयर का मलबा जमा हो गया है, जिसकी लंबाई करीब 750 मीटर और चौड़ाई 450 मीटर है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बाढ़ से पहले खीरगद के बाएं किनारे पर भूस्खलन से बना एक त्रिकोणीय मलबा मौजूद था, जिसे स्थानीय लोग खेती के लिए इस्तेमाल करते थे। लेकिन पिछले दस वर्षों में बढ़ते पर्यटन और व्यावसायिक गतिविधियों के कारण यहां घर और अन्य ढांचे बनने लगे थे। बाढ़ ने इस पूरे मलबे को बहा दिया और नदी अपने पुराने रास्ते पर लौट आई।
जल विज्ञानियों ने चेतावनी दी है कि इस तरह के अचानक बदलाव से नदी के निचले इलाकों में बड़े खतरे उत्पन्न हो सकते हैं। पानी की गति तेज हो सकती है, मिट्टी का बहाव बदल सकता है और किनारों पर नए कटाव पैदा हो सकते हैं। इससे पुलों को नुकसान, बाढ़ के मैदानों में बदलाव और किनारे बसे गांवों पर खतरा बढ़ सकता है।

धराली आपदा के सातवें दिन भी लापता लोगों की तलाश और फंसे लोगों का रेस्क्यू जारी है। प्रशासन ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों में ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया है ताकि हेलीकॉप्टरों के राहत कार्य में बाधा न हो। लगातार बारिश के कारण हेलीकॉप्टर रेस्क्यू अभियान में भी दिक्कत आ रही है। बीआरओ ने गंगनानी में वैली ब्रिज तैयार कर लिया है, जिससे पैदल आवाजाही शुरू हो गई है।
अब तक 132 लोगों को एयरलिफ्ट किया गया है, 79 लोगों को आईटीबीपी मातली और 53 को चियाली स्वर्ण हवाई पट्टी पर पहुंचाया गया है। प्रदेश सरकार ने धराली गांव के पुनर्वास के लिए विशेष पैकेज तैयार करने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार के अलावा आईएएस एसोसिएशन ने भी आर्थिक सहयोग की घोषणा की है।
मौसम विभाग ने उत्तरकाशी समेत कई जिलों में भारी बारिश की संभावना जताई है, जो राहत कार्यों में बाधा डाल सकती है। गंगनानी के पास पुल बहने के बाद गंगोत्री हाईवे पर वैली ब्रिज बन चुका है, जिससे यातायात आंशिक रूप से बहाल हो गया है।
धराली की यह त्रासदी लोगों के दिलों में ऐसे जख्म छोड़ गई है जो शायद कभी न भरें। बचे हुए लोग मलबे के बीच अपनों को तलाश रहे हैं। इस बीच एक भावुक पल तब सामने आया जब नेपाली मूल के लालमणि अधिकारी को उनका लापता बेटा सुरक्षित मिल गया। पुलिस की सक्रियता से यह संभव हो पाया और पिता की आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े।
इस आपदा ने न केवल घर, होटल और होमस्टे को मलबे में दफन किया है, बल्कि लोगों से उनकी रोज़ी-रोटी और सुरक्षित ठिकाना भी छीन लिया है। चारों ओर सन्नाटा, मलबे के ढेर और तबाही के निशान साफ देखे जा सकते हैं। राहत और बचाव दल लगातार काम कर रहे हैं, लेकिन इस प्राकृतिक आपदा ने जो दर्द और सवाल छोड़े हैं, वे लंबे समय तक याद किए जाएंगे।
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